बुक्स हिंदी 

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Ravangi

195.00 165.00

ISBN: 978-93-89663-65-5
Edition: 2024
Pages: 458
Language: Hindi
Format: Hardback

Author : Nisha Bhaskar

Category:

फ्मैं उन्हें करुण नजर से देखती रही। आखिर उन्हें मेरे कारण ही इस
मानसिक प्रताड़ना से गुजरना पड़ रहा है। स्त्रियों की सहिष्णुता की बातें
अक्सर सुनने को मिलती रहती हैं। लेकिन उसके जन्मदाता को जो सहन
करना पड़ता है, वह समंदर-सा लहराता आंखों का पानी जब चट्टान बन
जाता है, उसका क्या? ̧ ‘रॉन्ग नंबर’ कहानी की मुख्य पात्र नीरू अपनी
संवेदना को एक प्रश्न के रूप में प्रकट करती है। जो हर एक बेटी के सामने
प्रश्न के रूप में मौजूद है।
घर-गृहस्थी की जिम्मेदारी से मुक्त एक महिला जब मायके की दहलीज
पर कदम रखती है तो जैसे उसका बचपन वापस आ जाता है। मायके की
हर साधारण चीज भी उसे अनोखी प्रतीत होने लगती है। गृहस्थी की गाड़ी
खींचते-खींचते गंभीरता की चादर स्वयं ही काया को ढक लेती है। वहीं
‘अभिव्यक्ति’ की नायिका मायके के पायदान पर पैर रखते ही मुखर हो जाती
है, परंतु वक्त के पंजों के चिह्न आखिर में दिख ही जाते हैं। एक अलौकिक
और सत्व को दिखाने वाली कहानी ‘रवानगी’, जो इस संग्रह का प्रतिनिधित्व
करती है, सरल और अलौकिक तत्व को समेटे हुए है। सांसारिक गतिविधियों
में संलग्न रहते हुए भी करुणा और प्रेम के द्वारा स्त्री और पुरुष उस क्षितिज
को स्पर्श कर लेते हैं, जहां अपूर्व सुकून का वास होता है। मन और प्राण से
जुड़ना तहरीरें कहानी का उद्घोष है। इसमें नायिका द्वारा यह कहना, फ्यदि
प्रेम करते हो तो ढूंढ़ लेना मेरा पता! मैं कुछ संकेत देती हूं। हां, मेरा नाम
लेकर हवाएं चलती हैं, मेरी खुशबू से फिजाएं महकती हैं और मेरी हंसी से
गुलाब चटकते हैं। ऐसी रूहानियत की दुनिया में रहती हूं मैं। ̧

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