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Rath-Kshobh

80.00 68.00

ISBN: 978-81-7016-789-1
Edition: 2006
Pages: 84
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Deepak Sharma

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Category:

Description

रथ-क्षोम
“मरते समय मां ने मुझे बताया, वे मुझे जन्म नहीं देना चाहती था ।”
“तू अभी बहुत छोटा है । उस बेचारी का दुख नहीं समझ सकेगा ।”
“मेरा दु:ख कोई दुख नहीं ?” मैं फट पड़ता हूँ “माँ ने मुझे नफ़रत में जन्म दिया, नफरत में बडा किया और फिर कह गईं-मैं एक वहशी की संतान हूँ-बिना यह बताए कि किस वहशी की ।”
“अपने ताऊ की”
मैं सन्न रह गया ।
“मैं तुम्हें बताती हूँ।” काँपती, भर्राई आवाज में ताई ने बताया, “सब बताती हूँ। उस रात इसी तरह मैं उधर लुधियाणे में  भरती थी । मेरा भाई उन दिनों अपनी एल०आई०सी० की नौकरी से लुधियाणे में तैनात था । जब मैं एकाएक उधर बीमार पडी और अस्पताल में दाखिल करवा दी गई, तेरे ताऊजी उसी शाम इधर अपने गाँव से मुझे देखने के लिए पहुँच लिए थे । उन्हीं की जिद थी कि उस रात मेरी देखभाल वहीँ करेंगे । और उसी रात स्नेहंप्रभा की भी ड्यूटी वहीँ थी । बेहोशी और कष्ट की हालत में अचानक अपने प्राइवेट कमरे के बाथरूम के आधे दरवाजे के पीछे से एक सनसनी अपने तक पहुंचती हुई मेरी बेहोशी टूटी तो पशुवत् तेरे ताऊ की बर्बरता की गंध से-सुकुमार स्नेहप्रभा के आतंक की दहल से । पार उधर स्नेहप्रभा निस्सहाय रहने पर मजबूर रहीँ और इधर मैं निश्चल पडी रहने पर बाध्य…”
“पापा से माँ की शादी इसीलिए आपने करवाईं ?” मैंने थूक निब्बाला ।
“अस्पताल में मेरी भरती लंबी चली थी और जब स्नेहप्रभा ने अपने गर्भवती हो जाने की बात मुझसे कहीँ थी तो मैँने ही उसे अपनी बीमारो का वास्ता दिया था, अपने स्वार्थ का वास्ता दिया था और लुधियाणे से उसे अपने साथ इधर ले आई थी । सोचा था, जब वह अपने दूसरे बच्चे को जन्म देगी तो मैं इस पहले बच्चे को गोद ले लूँगी । लेकिन तुम्हारी प्रसूति के समय उसे ऐसा आँपेरेशन करवाना पडा, जिसके बाद उसका दोबारा माँ बनना मुश्किल हो गया”
“पापा को सब मालूम है ?”
“नहीं । बिलकुल नहीँ । और उसे कभी मालूम होना भी नहीं चाहिए । मेरी खातिर । स्नेहप्रभा की खातिर । “
-इसी संग्रह की कहानी ‘मुडा हुआ कोना’ से

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