Description
आप इस बात को भले न जानें और अच्छा है कि इससे एक हद तक विरत रहें कि आज व्यंग्य रचना के अद्वितीय पूर्वजों के बाद आपके ऊपर हिंदी के विवेकी पाठकों का ध्यान सबसे ज्यादा है। आपने चिकित्सा और रचना के बीच जो ताना बनाया है, वह निश्चित ही भीतरी बुनावट में बहुत कठिन और चुनौतीपूर्ण होना चाहिए। मेरी कामना है कि हिंदी की परंपरा में आप एक ध्रुवतारा की तरह चमकें।
-ज्ञानरंजन