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पूर्वी उत्तर प्रदेश का साहित्यिक परिदृश्य (2 खंडों में) / Poorvi Uttar Pradesh Ka Sahityik Paridrishya (2 Vols.)

1,200.00 1,020.00

ISBN: 978-81-88466-86-3
Edition: 2011
Pages: 896
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Jagdish Narayan Shrivastava

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Category:

Description

पूर्वी उत्तर प्रदेश का साहित्यिक परिदृश्य : 1
वरिष्ठ कवि व आलोचक जगदीश नारायण श्रीवास्तव ने ‘पूर्वी उत्तर प्रदेश का साहित्यिक परिदृश्य’ नाम से जो महाग्रंथ लिखा है, वह इतिहास से अधिक अनुसंधान है। एक विस्तृत देशकाल में अपने परिचित अंचल का इतिहास लिखना और साहित्य-संस्कृति को संश्लिष्ट करके देखना—जगदीश नारायण श्रीवास्तव ने इसे जिस तरह से संभव किया है, वह पूरे साहित्य-संसार को स्वागतयोग्य लगेगा। इतिहास-लेखकों में रामचंद्र शुक्ल, रामविलास शर्मा, नंददुलारे वाजपेयी और बच्चन सिंह जैसे लोग रहे हैं। हजारीप्रसाद द्विवेदी ने ‘हिंदी साहित्य की भूमिका’ लिखी, नामवर सिंह ने ‘दूसरी परंपरा की खोज’ जैसी कृति लिखी। इनसे अलग जगदीश नारायण श्रीवास्तव ने उस पूर्वांचल का इतिहास लिखा, जिसे वे ‘पूर्वी उत्तर प्रदेश : विचारों के सूर्योदय की धरती’ जैसा बहुलार्थी नाम देते हैं।…
कहना न होगा कि जगदीश नारायण श्रीवास्तव का यह महाग्रंथ एक ऐतिहासिक ग्रंथ के रूप में प्रसिद्धि प्राप्त करेगा। इसके पीछे एक दशक से अधिक की खोज, श्रमसाध्य वृत्त-संकलन, साक्षात्कार, पत्र-पत्रिकाओं से संकलित ऐतिहासिक जानकारियाँ संयोजित हैं। ऐसे कार्य प्रायः अकेले संभव नहीं होते। जगदीश नारायण श्रीवास्तव ने अकेले यह श्रमसाध्य कार्य संपन्न करने का जोखिम उठाया है। इसके लिए उन्हें हार्दिक बधाई। आशा है, पाठक इस ग्रंथ को तत्काल प्रकाशित देखना चाहेंगे और अपने पुस्तकालय में अग्रणी स्थान देंगे।

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