Description
पाश्चात्य काव्यशास्त्र का इतिहास हिंदी का प्रथम ग्रंथ हे, जिसमें प्लेटो से इलियट तक महत्वपूर्ण पाश्चात्य काव्य समीक्षकों के विचारों का ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में गंभीर एवं विशद विश्लेषण किया गया है। इन आचार्यों के विचारों में वि़द्यमान उन सूत्रों को भी रेखांकित किया गया है जो काव्यशास्त्र के विकासात्मक अध्ययन की संगति एवं उपयोगिता के व्यंजक हैं। साथ ही पश्चिम के प्रमुख काव्य सिद्धान्तों एवं वादों की समीक्षा भी की गई है। प्रत्येक विचार के विवेचन की दो दृष्टियाँ रही हैं-एक, उस विचार के स्वस्प के स्पष्टीकरण की दृष्टि-दो, उस विचार की आधुनिक प्रासंगिकता की पहचान की दृष्टि|