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Navjaagran Aur Mahadevi Verma Ka Rachana-Karm Stri-Vimarsh Ke Svar

445.00 378.25

ISBN: 978-81-89859-61-9
Edition: 2010
Pages: 352
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Krishna Dutt Paliwal

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Category:

Description

महादेवी वर्मा के जन्मशताब्दी वर्ष में यह सोचकर हृदय में पीड़ा होती है कि उन जैसी भारतीय स्वाधीनता-आंदोलन की लय में निमग्न कवयित्री के साथ हिंदी-आलोचना के मर्दवाद ने ऐसा सलूक क्यों किया?
उनके सृजन के नवजागरणवादी पक्ष को अनदेखा करते हुए रहस्यवाद-अध्यात्मवाद’ में लपेटकर उसे पूरी तरह छिपा दिया गया। आखिरकार क्यों?
ऐसा क्यों हुआ कि देश और समाज के लिए किया गया उनका मौन-मुखर विद्रोह पूरी तरह ‘विस्मृति’ के अंधकार में धकेल दिया गया?
आज इस स्थिति पर दूर तक स्त्री-विमर्श की अवधारणाओं से सोचने की जरूरत है।

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