Description
श्रीनरेश मेहता काफी समय तक अनाम स्थिति में रहे, परन्तु अपने पथ से विमुख न होकर निर्लिप्त भाव से साहित्य साधना में लगे रहे। धीरे-धीरे इन्हें ख्याति प्राप्त होने लगी और इन्हें सम्मान मिलने लगे तो स्वाभाविक था कि समाचार-पत्र पत्रिकाओं और साहित्यिक व्यक्तियों को इनमें दिलचस्पी होने लगी और वे इनसे भेंटवार्ता के लिए पहुंचने लगे। श्री नरेश मेहात जी से साक्षात्कार तो अनेक लोगों ने लिए होंगे परन्तु जब इनकी खोजबीन आरम्भ की तो कार्य दुष्कर-सा प्रतीत होने लगा। एक तो इतनी पुरानी पत्र-पत्रिकाओं को खोजना ही काफी कठिन था, दूसरे जो मिलीं भी तो उनकी फोटोकाॅपी कराना कठिन था। फिर भी किसी न किसी तरह सत्रह व्यक्ति, जिन्होंने श्रीनरेश मेहता जी के साक्षात्कार लिए थे, एकत्र कर ही लिए। इनमें एक ऐसा साक्षात्कार है जिसे लेने वाले का पता नहीं चल पाया, उसे अज्ञात के रूप में दिया जा रहा है। इस पुस्तक में श्रीमती महिमा मेहता जी से श्रीनरेश मेहता के संबंध् मं काफी विस्तार से बातचीत हुई, उसे भी दिया जा रहा है। इससे मेहता जी के जीवन और साहित्य पर काफी प्रकाश पड़ेगा, ऐसा मेरा विश्वास है। श्रीनरेश मेहता जी के साक्षात्कारों की यह कृति अब आपके हाथों में है। कृति पर सुधी पाठकों व विद्वत्जनों की प्रतिक्रिया जानकर प्रसन्नता होगी।
-अनिल कुमार