Description
प्रस्तुत पुस्तक ‘मेरे साक्षात्कार’ के विषय में डाॅ. शर्माका कहना है कि ‘कुछ वार्ताकारों ने मेरे व्यक्तिगत जीवन के बारे में भी प्रश्न किए हैं। ये उपवाद हैं। अनेक मित्रों ने मेरी योजनाओं और लेखन को लेकर प्रश्न किए हैं। इनके उत्तर आज के सवालों को समेट लेते हैं। इध्र हिंदी के समाचार-पत्रों में एक नया रुझान दिखाई दिया है, वे राजनीतिक घटनाओं पर साहित्यकारों के वक्तव्य भी प्रकाशित करते हैं। मैं इस रुझान का स्वागत करता हूँ। इससे साहित्यकार अपने दायरे से बाहर निकलकर राजनीति से जुड़ते हैं।’
हिंदी स्वदेशी और माक्र्सवाद के प्रबल प्रवक्ता डाॅ. शर्मा का कथन है कि ‘वार्ताकार अकसर माक्र्सवाद के बारे में सीधे प्रश्न करते हैं; साहित्य के मूल्यांकन से, सामाजिक-सांस्कृतिक इतिहास के विश्लेषण से उसका क्या संबंध् हो सकता है? ऐसे प्रश्नों का उत्तर देने के कारण यह पुस्तक एक हद तक माक्र्सवाद की व्याख्या और साहित्य, राजनीति, इतिहास के क्षेत्रों में उस व्याख्या को लागू करने का प्रयोग बन गई है।’
‘मेरे साक्षात्कार’ सीरीज की इस पुस्तक के माध्यम से पाठक डाॅ. शर्मा के संपूर्ण कृतित्व का एक ही जिल्द में परिचय प्राप्त कर सकेंगे।