Description
हिंदी साहित्य जगत् में शब्दशिल्पी अमृतलाल नागर की स्वतंत्र और मौलिक पहचान है। उपन्यास के क्षेत्र में उनकी उपलब्धियां कालजयी हैं तो कहानी, नाटक, निबंध, संस्मरण, रिपोर्ताज, आत्मकथा, जीवनी, हास्य व्यंग्य आदि गद्य विधाओं में उनकी रचनाशीलता विलक्षण है। नागर जी के बहुआयामी सृजनात्मक व्यक्तित्वं एवं विचारधारा के आकलन में कसौटी बनती उनकी रचनाओं में जब चाहे-अनचाहे, रचना-विधागत सीमा या खास प्रतिबद्धता के कारण उनके विकासमान अनुभव जगत् का अनुद्घाटित रह गया ‘बहुत कुछ’ हमारी दृष्टि से ओझल रह जाता है जब साक्षात्कार जैसी खुली संवादी विधा हमें विस्तार में उस तक पहुंचाती है जिसका रचना से प्रत्यक्ष-परोक्ष अभिन्न संबंध होता है।
सुखद है कि अपने अनुभव की कमाई को जगजाहिर करने वाले नागर जी से साहित्य, समाज, राजनीति, भाषा, धर्म, संस्कृति, सिनेमा, समकालीन जीवन के ज्वलंत प्रश्नों, वैयक्तिक जीवन-प्रसंगों, रचनाओं, अध्येताओं और जिज्ञासु पाठकों ने समय-समय पर महत्त्वपूर्ण साक्षात्कार लिए हैं और उनके अनुभव-रत्नों के खजाने में से अनमोल रत्न निकालने का प्रयास किया है।
‘मेरे साक्षात्कार’ श्रृंखला में अमृतलाल नागर के उनतीस साक्षात्कारों का यह संकलन पाठकों के बीच उनके रचनाकर्म की सही समझ के लिए निस्संदेह उपयोगी होगा।