Description
कब्र तथा अन्य कहानियाँ
हिंदी के चर्चित क्थाकार राजकुमार गौतम के इस छठे कहानी-संग्रह ‘कब्र तथा अन्य कहानियाँ’ में उनकी बहुरंगी कथा-यात्रा एक सुखद पाठकीय अनुभव है । विगत शताब्दी के अंतिम दशक में लिखी गई इन कथा-रचनाओँ में उस मध्यवर्गीय भारतीय जो संबोधित किया गया है, जिसे कथाकार ने हम सबके बीच त्रस्त और परास्त पाया है । दरअसल समकालीन मनुष्य के जीवन में बाजार की आपाधापी के षड़यंत्र के अंतर्गत जिन भौतिक भोगों का वर्चस्व स्थापित हुआ है, उन्हीं के उदघाटन-प्रकाशन से रची गई इन कथाओं में लेखक ने जीवन के उत्साह और उत्सव को खोजा है । ये कथाएँ जीवन से निवृति की नहीं है, बल्कि जीवन की प्रवृत्ति को प्रकाशित करती है । संभवत: एक कथा और कथाकार का प्रथम और अंतिम सरोकार भी यही होता है कि वह समाज के प्रति सुविचारों को निरंतर सौंपते रहने का माध्यम बने । कहना न होगा कि यह कथाकार इस कसौटी पर खरा उतरता है ।
‘कब्र तथा अन्य कहानियाँ’ में प्रस्तुत कहानियाँ, व्यंग्य-कथाएँ तथा लघुकथाएँ समकालीन कथा-लेखन की एक उत्तम बानगी इसलिए भी हैं, क्योंकि इनमें कहानी की एक संपूर्ण और आधुनिक व्यवस्था विकसित हुई है और अपने कथ्य, शिल्प तथा महत्त्वपूर्ण भाषा-व्यवहार से इसे नि:संकोच एक कथाग्रंथ कहा जा सकता है । कथा-प्रस्तुति को इस त्रयी में जीवन के आसन्न संकटों से तो दो-चार हुआ ही गया है, शाश्वत जीवन-मूल्यों के मंत्र को भी इन रचनाओं में मुख्य स्थल प्रदान किया गया है । हिंदी का भावी कथा-संसार संभवत: ऐसी ही रचनानिष्ठता की मांग करता है और प्रस्तुत संग्रह इस स्थिति का प्रबल दावेदार है ।
एक ऐसे समय में जबकि साधारण जन के जीवन को नष्ट करने की अप्रत्यक्ष कोशिश एक ‘अधर्म युद्ध’ के माध्यम से हो रही हो, अनिवार्य है कि मनुष्य की अस्मिता की प्रतिरक्षा की जाए । कथा-साहित्य-लेखन की अवधारणा ही यह रही है कि श्रेष्ठतम को बचाया जाए । प्रस्तुत संग्रह की कथा-रचनाओं में असीमित वैचारिक क्षेत्रफल का गुणी उपयोग करते हुए लेखक ने आम आदमी के शेषफल को शिखर दिशा की और उन्मुख किया है । आशा है, पिछली शताब्दी की ये अंतिम रचनाएँ, वर्तमान शताब्दी का महत्त्वपूर्ण कथा-उपहार सिद्ध होंगी ।