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Kabeer Ki Bhasha

400.00 340.00

ISBN: 978-81-89982-52-2
Edition: 2011
Pages: 312
Language: Hindi
Format: Hardback

Author : Dr. Mahendra

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Category:

Description

महान् संत कबीरदास की वाणी के प्रामाणिक संग्रह के अभाव में उनकी भाषा विवाद का विषय रही है। प्रस्तुत ग्रंथ के प्रथम खंड में इसी विवाद का निश्चित हल प्रस्तुत करने का सफल प्रयास किया गया है। भाषावैज्ञानिक विश्लेषण का निष्कर्ष यह है कि भाषा की दृष्टि से कबीर संधिकाल (1000 ई. से 1500 ई. तक) के कवि हैं। इस कारण उनके काव्य में अवधी, ब्रजभाषा और खड़ीबोली की व्याकरणिक प्रवृत्तियों के बीज मिश्रित रूप से विद्यमान हैं। द्वितीय खंड में कबीर की भाषा का काव्यशास्त्रीय अध्ययन है। यह अध्ययन शब्द-शक्ति, ध्वनि, अलंकार, वक्रोक्ति, रीति, वृत्ति और गुण की दृष्टि से सर्वांगपूर्ण होने के कारण कवि की कवित्व-शक्ति का परिचायक है। कबीर द्वारा प्रयुक्त प्रतीकों के स्रोतों का अनुसंधान तथा प्रतीकों का वर्गीकरण प्रस्तुत ग्रंथ की मौलिक विशेषता है। तृतीय खंड में कबीर की भाषा-शक्ति तथा भाषा के सांस्कृतिक पक्ष का अध्ययन प्रस्तुत किया गया है। कबीर द्वारा प्रयुक्त मुहावरों और लोकोक्तियों की विस्तृत सूची से ग्रंथ की उपयोगिता बढ़ गई है। समग्रतः कबीर की भाषा के सभी पक्षों पर वैज्ञानिक पद्धति से किया गया विवेचन ग्रंथ का वैशिष्ट्य है।

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