Description
सुपरिचित कथाकार अशोक गुप्ता की बहुआयामी कथा-रचनाओं का मुख्य सरोकार, अपने समय-समाज की विसंगतियों, विषमताओं, व्यवस्थागत जड़ताओं से निरंतर मुठभेड़ करना भर ही नहीं है, वैसा होने के लिए जिम्मेदार उन अव्यक्त ध्वंसात्मक प्रवृत्तियों को भी अनावृत करना है, जिनके छिपे हाथ असहाय से असहायतर होते चले जा रहे जनमानस से उनके सपने ही नहीं छीन रहे, उनके बुनियादी अधिकारों को भी डकारने से बाज नहीं आ रहे। विशेष बात यह कि उनकी सतत जागरूक कथादृष्अि शोषित जन की कुंद चेतना को भी नहीं बख्शती। कुरेदती है उन्हें आंखें खोलने के लिए। अपनीे ताकत पहचानने के लिए। उनकी जन सरोकारीय प्रतिबद्धतस को ‘बोहेमियन की वापसी’ कहानी के कथानायक के इस कथन में स्पष्ट अनुभव किया जा सकता है-‘निजी महत्त्वाकांक्षा के स्थान पर वर्ग-आकांक्षा की वृत्ति स्थापित करनी होगी।’