Description
इन दिनों
विनीता के ग़ज़लों में छन्द का अनुशासन काकी दूर तक दिखाई देता है । इसके साथ-साथ ग़ज़ल के मुहावरे, व्याकरण, अंदाज़े-बयां, भाषा और विभिन्न बहरों को भी अपने जीवनानुभव तथा अभ्यास से उपलब्ध करने की सफ़ल कोशिश है । उनकी ग़ज़लों में एक ओर व्यक्तिगत अनुभूतियों तथा राग-विराग की स्थितियों के प्रस्तुति है तो दूसरी ओर समष्टिगत वेदनाएं, व्यथाएँ भी अंकित हुई हैं। विनीता के पास हिन्दी मुहावरे और शब्दावली का भण्डार तो है ही, उर्दू का रंग भी देखने को मिलता है । हिंदी, उर्दू के सहीं अनुपात ने इन ग़ज़लों को और भी निखार दिया है ।
—डॉ. शेरर्जग गर्ग
विनीता की ग़ज़लों में अति जीवन की छोटी-छोटी मार्मिक बातों को अपने मन का हिस्सा बनाकर बड़ी सादगी के साथ व्यंजित किया गया है । इनमें बाहर-भीतर का दर्द है तो परिवेश की विसंगतियों पर हल्के-हल्के चोट भी की गयी है । प्रकृति के परिचित बिम्बों से मानवीय जीवन के संश्लिष्ट सत्य उत्घाटित्त किये गये है । इन ग़ज़लों के भाषा बोलचाल की है, इसलिए ये अधिक संप्रेष्य और असरदार हैं । इन ग़ज़लों में रवानी भी खूब है ।
—डॉ. रामदरश मिश्र