Description
हम सब गुनहगार
लीक से हटकर सोचने वालों ने आशा को नहीं, निराशा को कर्म की प्रेरणा कहा है।
डॉ. लोहिया ने निराश रहकर काम करते जाने को ही सबसे अच्छा कर्तव्य कहा है।
फ्रांस के प्रसिद्ध लेखक एवं दार्शनिक ज्यांपाल सार्त्र ने भी सर्वोत्तम कर्मशक्ति डिस्पेयर की परिभाषा करते हुए कहा है, ‘दि एक्ट विदाउट होप।’
‘मा फलेषु कदाचन’ के कथन द्वारा गीता में भी इस सत्य को ही कहने की कोशिश की गई है…
वर्तमान निराशा के धुँधलके में भविष्य को खोजने का लघु प्रयास यह पुस्तक स्वातंतत्र्योत्तर भारत की आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक एवं सांस्कृतिक विसंगतियों का भविष्योन्मुख विवेचन है।