Description
हीरामन हाई स्कूल
‘हीरामन हाई स्कूल’ प्रख्यात साहित्यकार कुसुमकुमार का पहला एवं पाठकों द्वारा अनुशंसित; ‘ मुहर लगा’, लगभग पच्चीस-छब्बीस (1987-88 ) वर्ष पहले छपा उपन्यास है।
शब्दों की दुनिया जहां एक ओर आज अपने वास्तविक अर्थ खो चुकी है उसी बेदम, बेजान, मानवीय सरोकारों की पहुंच-पकड़ से दूर लिखे- दिखे-समझे जाने वाले जहान में ‘हीरामन हाई स्कूल’ एक सार्थक किंतु विनम्र हस्तक्षेप है।
उपन्यास की कहानी मानव संबंधों की “ठेठ’ पहचान से शुरू होकर सत्ता के खेलों-मेलों तले दबी किन्हीं सामान्यजनों के डूबने-तैरने, मरने-जीने, भूख-रूख के दृश्यों पर से पर्दा उठाती है। जो विचारणीय ही नहीं वरन् ज्वलंत प्रश्नों से परिपूर्ण है।
नारों, सरकारों के शोर से अलग यह गाथा, जिंदगी की धड़कनों को सुनती है और उसी की ताल पर थिरकती हुई आगे बढ़ती है। यहां संघर्ष और सुख दोनों एक ही सिक्के के दो पक्ष हैं।
उपन्यास की एक खास बात यह भी कि रचनाकार ने अपने आग्रहों-दुराग्रहों को किसी पात्र या परिस्थिति पर आरोपित नहीं किया। यहां सभी अपनी लड़ाई आप लड़ रहे हैं। जो ओछी लड़ाई लड़ रहे हैं; स्वार्थों और पदार्थों की लड़ाई; जीत के आसार उन्हें अधिक दिखाई दे रहे हैं।
एक और खासियत-उपन्यास में सुस्त-पस्त, प्रमादी कोई एक पात्र भी नहीं। लड़ाई भी यहां विचारों, मूल्यों, आदर्शों की है।
“किवाबघषर प्रकाशन * से यह उपन्यास पहली बार प्रकाशित हो रहा है।
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