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Hamaaraa Lakshy Laaney Hain Leelakamal

750.00 637.50

ISBN: 978-93-82114-24-6
Edition: 2013
Pages: 348
Language: Hindi
Format: Hardback

Author : Dr. Ramesh Kuntal Megh

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Category:

Description

चैबीसेक लेखों-आलेखों-मोनोग्राफों वाली इस किताब में समग्र ‘संस्कृति पैटर्न’ के समावेश के संग-संग सौंदर्यबोध शास्त्र, मिथक-आलेखकारी एवं (यत्र-तत्र)  देहभाषा का भी मिलयन हुआ है। इसमें दोनों सरोकार शामिल हैं–क्या (लक्ष्य) हैं तथा (कला-साहित्य, समाजविज्ञान-संस्कृति के लीलाकमल) कैसे होने चाहिए! आप भी उन्हें लें तथा स्वीकारें-परखें।इसीलिए इसमें विभिन्न ज्ञानानुशासनों के पारिभाषिकों तथा विविध आयामी संप्रेषणों का सहारा लिया गया है, जिससे ज्ञान तथा पद्धति की नई दिशाएँ भी परिलक्षित हुई हैं। पढ़ते हुए हम-आप मरुतों के वाक्अक्षरों के साथ ऊँचे दूर तक उड़ें, मिथक के ‘स्वप्न समय’ से आधुनिक रिनासाँ के यात्रिक बनें, प्रसाद के ‘आँसू’ की नाम लुकी प्रिया-रमणियों का साक्षात्कार करें, चंपा के ‘आकाशदीप’ के साथ कथा सागर में यात्राएँ करें, वागीश्वर चित्रानुरागी आचार्य शुक्ल के कई सृजन-रहस्य पहचानें, मल्लिका सारा भाई के नृत्य, त्रिलोचन के व्यक्तित्व तथा ताला स्थल की अजीब प्रतिभा की शिनाख्त करें, मामल्लपुरम लेकर मेगासिटी चंडीगढ़ के वास्तुशिल्प और नगर-निवेश का आकल्प जाँचे तथा साहित्य की समसामयिक समाजशास्त्रीय चुनौतियों का भी आगाज करें। इस तरह ऐसे सही प्रश्नों के सही उत्तरों का निर्णय तो आपको ही करना है—असहमति अथवा समर्थन द्वारा।

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