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Gyarah Laghu Naatak

495.00

ISBN: 978-81-933728-1-4
Edition: 2023
Pages: 168
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Pratap Sehgal

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Category:

Description

रवीन्द्रनाथ ठाकुर विश्व साहित्य में एक विशिष्ट पहचान रखने वाले कालजयी रचनाकार हैं। अभिव्यक्ति की अनेक विधाओं में उन्हाेंने नवीन प्रस्थान निर्मित किए। भाषा, शैली, विचार और दर्शन को मानवता के विराट प्रांगण में अभिमंत्रित आमंत्रित किया। प्रस्तुत पुस्तक ग्यारह लघु नाटक में रवीन्द्रनाथ ठाकुर की अपूर्व प्रतिभा का प्रकाश एक नए शिल्प में देखा जा सकता है। सुप्रसिद्ध नाट्य लेखक और रंगमनीषी प्रताप सहगल ने ठाकुर की ग्यारह कहानियों को चुनकर उन्हें नाट्य रूप प्रदान किया है। उनके शब्दों में, ‘‘रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कहानियों में 1940 से पहले के बंगाल का जीवन धड़कता है। —जब इन ग्यारह कहानियों को मैंने चुना तो स्पष्ट रूप से यह बात मन में काम कर रही थी कि मैं इन्हें नाट्य रूप में ऐसे प्रस्तुत करूं कि इनका मूल भाव एवं मूल परिवेश क्षरित हुए बिना ये हमारे समय में भी प्रासंगिक बनी रहें।’’
रवीन्द्रनाथ ठाकुर की ये सभी कहानियां बहुत प्रसिद्ध हैं। कहना तो यह भी उचित होगा कि अनेक रचनाकारों ने इनके छाया-अर्थ से स्वयं को समृद्ध किया है। एक रात, काबुलीवाला, पोस्टमास्टर, क्षुधित पाषाण और समाप्ति आदि कहानियों के नाट्य रूपांतर से पाठकों और रंगकर्मियों को कुछ सार्थक विकल्प मिलेंगे। प्रताप सहगल ने कहानियों में निहित नाट्य स्थितियों और रंग- संभावनाओं को समझते हुए रूपांतर को समृद्ध किया है।
पाठकों के लिए तो इन रूपांतरित रचनाओं से गुज़रना एक विलक्षण अनुभव है ही, उन लोगों को भी आनंद की अनुभूति होगी जो मंचन के लिए सुरुचिपूर्ण नाट्यालेखों की खोज में रहते हैं। एक तरह से प्रताप सहगल ने सार्थक नाट्यालेखों की संख्या में वृद्धि की है। यह करते समय उन्हाेंने मूल संवेदना को अक्षत रखा है। ‘ग्यारह लघु नाटक’ एक संग्रहणीय पुस्तक है।

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