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Bhartiya Vigyan Kathayen : 2

600.00 510.00

ISBN: 978-81-7016-645-0
Edition: 2017
Pages: 360
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Shuk Deo Prasad

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Category:

Description

कल्पनाएं चिर नवीन और उर्वर होनी चाहिए। उर्वर कल्पनाओं की भावभूमि में विज्ञान गल्पों के बीजों का वपन की सार्थक है अन्यथा विज्ञान गलप अपनी अस्मिता की खोज ही करते रहेंगे। वास्तव में हुआ यह कि विज्ञान गल्पों पर समीक्षात्मक टिप्पणियां ही नहीं की गईं और न ही गहनता से पढ़ने का प्रयास किया गया कि इन कथाओं में है क्या? समीक्षात्मक लेखन न होने के कारण यह दुर्दशा हुई है।
विगत सौ वर्षो की भारतीय विज्ञान कथाओं की विकास-यात्रा को दो खंडों में समग्रता से समेटने की चेष्टा की गई है। विज्ञान गल्पों की भावी दिशा क्या हो, इस पर गहनता से विमर्श आरंभ हो जाना चाहिए।

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