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बेतवा बहती रही / Betwa Behati Rahi

350.00 280.00

ISBN : 978-81-7016-139-4
Edition: 2018
Pages: 150
Language: Hindi
Format: Hardback


Author : Maitreyi Pushpa

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Category:

Description

बेतवा बहती रही
एक बेतवा! एक मीरा ! एक उर्वशी !
नही-नहीं, यह अनेक उर्वशियों, अनेक मीराओं, अनेक बेतवाओं की कहानी है ।
बेतवा के किनारे जंगल की तरह उगी मैली बस्तियों । भाग्य पर भरोसा रखने वाले दीन-हीन किसान । शोषण के सतत प्रवाह में डूबा समाज । एक अनोखा समाज, अनेक प्रश्नों, प्रश्नचिन्हों से घिरा ।
प्राचीन रूढियां है जहाँ सनातन । अंधविश्वास हैं अंतहीन । अशिक्षा का गहरा अंधियारा । शताब्दियों से चली आ रही अमानवीय यंत्रणाएँ । फिर जीने के लिए कोई किंचित ठौर खोजे भी तो कहाँ ! हाँ, इन अंधेरी खोहों और खाइयों में कभी-कभी मुट्ठी-भर किरणों के प्रतिबिंब का अहसास भी कितना कुछ नहीं दे जाता ।
उर्वशी का दु:ख है कि वह उर्वशी है । साधारण में भी असाधारण । इसीलिए सब तरह से अभिशप्त रही । तिल-तिल मिटती रही चुपचाप ।
प्रेम, वासना, हिंसा, घृणा से भरी एक हृदयद्रावक अछूती कहानी ! पूरे एक अंचल को व्यथा-कथा ।

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