Description
गोविन्द मिश्र समकालीन हिंदी कथाकारों की अग्रिम पंक्ति में आते हैं। 1965 से शुरू हुई उनकी सृजन-यात्रा से हिंदी साहित्य को अब तक 11 उपन्यास, 12 कहानी-संग्रह, 5 यात्रा संस्मरण, 6 निबंध-संग्रह, 1 कविता-संग्रह केअतिरिक्त बाल कथाएं, समसामयिक विषयों पर निबंध, आलोचनात्मक लेखआदि विविध लेखन की संपदा प्राप्त हुई है।इस यात्रा के मील स्तंभ हैं-‘लाल पीली जमीन’, ‘हुजूर दरबार’, ‘पांच आंगनों वाला घर’, ‘कोहरे में कैद रंग’, ‘धीर समीरे’, ‘अरण्य-तंत्र’ जैसे बहुचर्चित उपन्यास और ‘रंगों की गंध’ जैसे समग्र यात्रा-वृत्त संकलन। गोविन्द मिश्र व्यास सम्मान, साहित्य अकादेमी (केंद्रीय) पुरस्कार और भारत भारती जैसे बड़े सम्मानों से नवाजे जा चुके हैं।उनकी कालजयी कृतियां उनकी जीवन यात्रा का प्रतिफलन हैं।उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में प्राइमरी स्कूल के अध्यापक परिवार में जन्मा-पला यह व्यक्ति कैसे केंद्रीय सरकार के सर्वोच्च पद तक पहुंचा-यह अपने आप में एक कहानी है, बचपन में ही उसमें सर्जनात्मकता के बीज कैसे पड़े, वह साहित्यकी ओर कैसे मुड़ा यह दूसरी कहानी है। इनमें निहित संघर्ष-गाथा जीवनी का उपयुक्त कथा पटल प्रस्तुत करती है।