स्वेट मार्डेन (1850-1924)
अमेरिका के नए विचार आंदोलन से जुड़े एक प्रख्यात लेखक और दार्शनिक। न्यू हैम्पशायर के थॉर्नटन गोर में लेविस और मार्था मार्डेन की पहली संतान के रूप में जन्म। 22 वर्षीया माँ केवल तीन वर्ष के मार्डेन और उसकी दो बहनों को कृषक और शिकारी पिता के सहारे छोड़कर चल बसी। सात वर्ष के थे तो जंगल में घायल पिता की मृत्यु। दोनों बहनों के साथ यहाँ-वहाँ भटकते रहे। घर-खर्च के लिए एक ‘बँधुआ बाल श्रमिक’ के रूप में कार्य। इन्हीं दिनों स्कॉटिश लेखक सैमुएल स्माइल्स की पुस्तक पढ़ी और आत्मविकास के लिए प्रेरित हुए। 1871 में बोस्टन विश्वविद्यालय से स्नातक की उपाधि। 1881 में पुनः हार्वर्ड से स्नातकोत्तर में विशेषज्ञता और 1882 में एल.एल.बी.। बोस्टन भाषण-कला विद्यालय तथा एण्डोवर धर्मवैज्ञानिक गुरुकुल में भी शिक्षा।
कॉलेज के दिनों में होटल की नौकरी, बाद में होटल व्यवसाय। शिकागो में होटल मैनेजर की नौकरी करते हुए लेखन शुरू किया। मार्डेन पर स्माइल्स के साथ-साथ ओलिवर वेंडेल होम्स, जूनियर तथा राल्फ वाल्डो एमर्सन के दार्शनिक विचारों का प्रत्यक्ष प्रभाव। ये दोनों ही 1890 के आसपास के नए विचार आंदोलन के अग्रदूत थे।
पहली पुस्तक ‘पुशिंग टु द फ्रंट’ (दो खंड) 1894 में प्रकाशित। 1897 में ‘सक्सेस’ पत्रिका की स्थापना तथा एलिजाबेथ टाउन की विचार-पत्रिका ‘नाउटिलस’ में दो दशकों तक सहयोग। ‘द मिरैकल ऑफ राइट थाउट एंड द डिवाइनिटी ऑफ डिज़ायर’, ‘कैरेक्टर: द ग्रैंडेस्ट थिंग इन द वल्र्ड’, ‘एन आयरन विल’ तथा ‘एक्सेप्शनल इम्प्लॉयी’ आदि प्रमुख पुस्तकें।