Description
मुझे प्रसन्नता है कि भारत के उपप्रधानमंत्री तथा गृहमंत्री के पद को सुशोभित करने वाले श्री लालकृष्ण आडवाणी जी के दो दशकों में प्रख्यात पत्रकार श्री तरुण विजय द्वारा किया जा रहा है।
आडवाणी जी मेरे बहुत अच्छे मित्रों में से हैं। वे एक कुशल राजनेता हैं, राजनीतिज्ञ नहीं, क्योंकि राजनीतिज्ञ अगले चुनाव की सोचता है और राजनेता दूरगामी दृष्टि से देश के भविष्य को संवारने की चिंता करता है। उनके साक्षात्कार इस बात पर बहुत शिद्द से प्रकाश डालते हैं कि उन्कें कल के भारत की चिंता है। उन्हें उस भारत की चिंता है जो बहुत तेजी से विश्व का पथ-प्रदर्शक बनने की ओर कदम बढ़ा रहा है। निश्चय ही अगली शताब्दी में यह विश्व की रहनुमाई करेगा।
पुस्तक को खोलते ही सर्वप्रथम इसके शीर्षक ‘विचार-यात्रा’ ने मुझे बहुत प्रभावित किया। वह इसलिए कि विचार कर्म के पथ-प्रदर्शक हैं। जीवन विचारों का प्रतिफल। विचार कालजयी होते हैं। इसलिए हम कह सकते हैं कि जीवन विचारों का स्वामी है और विचार जीवन के। विचार स्वयं को अपने शब्दों के द्वारा पोषणता प्रदान करते हैं।
श्री तरुण विजय के संपादकत्व में प्रकाशित यह पुस्तक न केवल राजनीति, साहित्य और संस्कृति के सभी विद्यार्थियों के लिए उपयोगी है, बल्कि इसे एक ऐतिहासिक दस्तावेज भी कहा जा सकता है, क्योंकि गत दो दशकों में घटित सभी घटनाओं पर आडवाणी जी के मौलिक विचारों का इसमें संकलन है।
-भैरांेसिंह शेखावत
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