Description
घर के बार एक शिशु धूल में खेल रहा था। वह घुटनों के बल चलकर इधर-उधर भागता और जोर से किलकारी मारता। उसका सुंदर गोरा मुखड़ा और घुंघराले बाल वहाँ से गुजरने वालों का मन सहज ही मोह रहे थे। उस शिशु के गले में सोने की जंजीर लटक रही थी। हाथों में सोने के चूड़े थे और कमर में सोने की करधनी थी। खेलते-खेलते वह शिशु घर से थोड़ा आगे निकल गया। तभी वहां से दो चोर निकले। उन्होंने शिशु को देखा और उसके गहने देखे। उनके मुंह में पानी आ गया। सोचा, किसी तरह इसे फुसलाकर उठा ले चलें तो इसके गहने हमारे हाथ लग जाएंगे।
-इसी पुस्तक से