Description
संतोष शैलजा की संपूर्ण कविताओं का संग्रह ‘कुहुक कोयलिया की’। इसमें जहां एक ओर आपत्काल में लिखी विरहपूर्ण कविताएं हैं, वहीं दूसरी ओर प्रकृति के मनमोहक सौंदर्य, कोयल की कुहुक एवं फूलों की घाटी की सुगंध है। इनकी कल्पना की ऊंची उड़ान ‘धौलाधार’ के हिमशिखरों को छूती है, तो भावों की गहराई ‘विपाशा’ की अतल गहराइयों तक पहुंचती है।