Description
‘ये अच्छा न्याय है! बच्चे गलती करें तो मेरी जिम्मेदारी है। पापा गुस्सा करें तो उसका ठीकरा भी मेरे सिर पर! तुम सब लोगों ने मिलकर मुझे बलि का बकरा बना दिया है! अच्छा अब जाओ यहां से, यहां रहकर मेरा दिमाग मत खाओ। और जाते हुए बरामदे में बैठे पंडित को अंदर भेजना। नहीं तो शाम तक बादाम ही छीलता रहेगा। यहां इतना ढेर सारा काम पड़ा है। दाल पोसनी है, पनीर तलना है…’
मम्मी की बात पूरी होने से पहले ही मैं वहां से भाग खड़ी हुई। उनके कामों की लिस्ट सुनकर मुझे ही पसीने छुटने लगे थे।
-इसी संग्रह से
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