Description
‘एक किरण सौ झाँइयाँ’ आचार्य जानकीवल्लभ शास्त्री का एक प्रयोगधर्मी उपन्यास है, जिसे वे विनम्रतापूर्वक ‘गद्य-काव्य’ कहते हैं। शास्त्री जी अपने इस गद्य-काव्य को उपन्यास न कहकर ‘प्राचीन कथा-आख्यायिका की परंपरा में एक नया प्रयास’ मानते हैं। सुबंधु, दंडी, वाणी आदि के जिस साहित्य को ‘कथा-आख्यापिका’ का नाम दिया जाता है, उसी परंपरा में आधुनिक जीवन की नई कथा लिखने का यह अभिनव प्रयोग है, जो शास्त्री जी जैसे मनीषी विद्वान् और रचनाकार के हाथों संभव हुआ है।
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